Hindi, asked by jaydeepkumarhaj6829, 1 year ago

खान - पान को मिश्रित संस्कृति से ' वसुधैव कुटुंबकम् ' की भावना कैसे बलवती हो रही है ?

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Answered by bhatiamona
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खान - पान को मिश्रित संस्कृति से ' वसुधैव कुटुंबकम् ' की भावना आज के समय में बादल गई है|

खान-पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है , आज के समय में अनेक प्रकार के व्यंजनों से है|

लेखक की परेशानी की वजह यही है। समाज में परिवर्तन हो रहा है। इसका प्रभाव खानपान की संस्कृति पर पड़ रहा है। साथ ही कई व्यंजन समाप्त हो रहे हैं। समय के साथ हम मनुष्य भी बादल रहे है , पहले घर में स्त्रियाँ सभी प्रकार के व्यंजन बनाया करती थी लेकिन अब तो यह सब कुछ बाज़ार में आसानी से मिल जाते है| अब सभी लोग अपने घरों  में ही इडली, डोसा, समोसा, नूडल्स, रोटी, दाल ,साग, दहीं बल्ले आदि अनेक प्रकार के व्यंजनों को बनाकर उनका प्रयोग करते है। इसके कारण कई भारतीय व्यंजन लुप्त हो रहे हैं।

यह  व्यंजन उत्तर, दक्षिण, अनेक देश प्रदेश तथा पश्चिमी संस्कृति से मिलते जुलते है,  इसलिए इसे खानपान की मिश्रित संस्कृति कहते हैं।

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