(ख) ओस कणों को देखकर कवि का मन क्या करना चाहता है?
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कवि पत्तों, फूलों और घास पर ओस की बूंदों को देख कहता है जैसे रत्न बिखरे हुए हैं। कवि इन रत्नों की रक्षा करना चाहता है। इसलिए वह चाहता है कि उन्हें अपनी अंजलि में भरकर घर ले जाए। घर से जाकर वह उनकी सुंदरता को करीब से देखना चाहता है। वह प्रकृति के इस उपहार को अच्छे से देखना चाहता था |
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