(ख) पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
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पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरंत बुद्धि की प्रशंसा इसलिए कर रहे थे क्योंकि जब नाटक बिगड़ गया था तो राकेश ने ही बात सँभाली। जब सारे दर्शक नाटक को खराब होता देख बिल्कुल शांत हो गए थे तो राकेश ने बिगड़ती स्थिति को संभाला जिससे दर्शकों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं हुआ कि नाटक में किसी तरह की कोई गलती भी हुई है।
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Parde Ki Aad Mein Khade Anya Sathi man man Rakesh ki Buddhi ki prashansa isliye kar rahe the Kyunki natak ko bigadta dekh Sabhi Darshak Shor Machane Lage the Agar Rakesh natak Nahin sambhalta to pura natak Bigad sakta tha
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