“सोहन बना था शायर।” तुम किसी गजल को किसी पुस्तक में पढ़ सकते हो या किसी व्यक्ति द्वारा गाते हुए सुन सकते हो। इसमें से तुम्हें जो भी पसंद हो उसे इकट्ठा करो। उसे तुम समुचित अवसर पर आवश्यकतानुसार गा भी सकते हो।
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जग जीत सिंह गजल
- होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो।
-चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने वह कौन सा देश जहां तुम चले गए।
-कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे, तुने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
गुलाम अली
- हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह, सिर्फ इक बार मुलाकात का मौका दे दे, हम तेरे शहर में...
पंकज उधास
-चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
-चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल
-न कजरे की धार, न मोतियों का हार |
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