Hindi, asked by sia8536, 5 months ago

महाभारत का प्रसिध्द युध्द चल रहा था । भीष्म पितामह के बाद गुरु द्रोणचार्य कौरवों के सेनापति बने । कौरवराज दुर्योधन के मन में यह संदेह था कि गुरुजी पाण्डवों का अहित नही चाहते । इसलिए वह गुरुजी के पास पहॅुंचा और अपने मन की बात साफ-साफ कह दी । गुरुजी ने बहुत देर तक सोच-विचार करने के बाद कहा – अगर अर्जुन को किसी प्रकार युध्द क्षेत्र से दूर ले जाय तो निश्चत ही कौरव विजयी होंगे ।

दुर्योधन ने अपने मित्र संसप्तकों के राजा से सहायता करने के लिए कहा । संसप्तकों ने अर्जुन को युध्द के लिए ललकारा और उसे उलझाकर कुरुक्षेत्र से दूर ले गए ।

इधर गुरु द्रोणाचार्य ने अवसर का लाभ उठाकर चक्रव्यूह की रचना की । कौरवों ने पाण्डवों को युध्द का निमंत्रण दिया और चुनौती दी कि व्यूह तोड़कर दिखाए । पाण्डवों के दल में अर्जुन के अतिरिक्त व्यूह तोड़ने की विद्या कोई भी नहीं जानता था । इसलिए शेष चारों भाई चिंता में डूब गए । युधिष्ठर, भीम आदि को दुखी देखकर अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु उनके पास पहॅुंचा । उसने बताया कि वह व्यूह में प्रवेश करना जानता है । इसलिए उसने युध्द में जाने की आज्ञा माँगी । परंतु अभिमन्यू अभी बालक ही था । युध्दिष्ठिर उसे युध्दक्षेत्र में भेजने के लिए तैयार नहीं हुए ।

पाण्डवों की ओर से युध्द में न जाने का अर्थ था अपनी हार स्वीकार करना । अत: बहुत कुछ विचार करने के बाद यह निश्चय हुआ कि युध्द-क्षेत्र में भीम आदि श्रेष्ठ पाण्डव योध्दा अभिमन्यु के साथ रहेगें ।

अभिमन्यु ने अपने वंश की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए युध्द-क्षेत्र की ओर प्रस्थान किया । व्यूह के व्दार को पार कर वह अंदर तो पहॅुंच गया परंतु भीम आदि वीर व्दार पर ही अटक गए । अपनी वीरता से अभिमन्यु ने व्यूह में अकेले ही अनेक शत्रुओं का संहार किया । सारी कौरव-सेना में आतंक छा गया । जब कौरवों ने किसी भी प्रकार अपनी दाल गलती न देखी तो एक चाल चली । सब महारथियों ने चारों ओर से अभिमन्यु को घेर लिया और एक साथ उस पर आक्रमण करके अन्याय से उसका वध कर दिया । उसकी मृत्यु का समाचार सुनकर पाण्डव दल में शोक छा गया ।



(i) दुर्योधन कौन था?उसके मन में किसके प्रति और क्या संदेह था ? [2]

(ii) द्रोणाचार्य ने दुर्योधन के संदेह को दूर करने के लिए उससे क्या कहा ? [2]

(iii) दुर्योधन ने किससे और क्या सहायता माँगी ? [2]

(iv) द्रोणाचार्य ने किस अवसर का लाभ उठाते हुए क्या योजना बनाई ? [2]

(v) पाण्डव दल में शोक क्यों छा गया ? [2]

Answers

Answered by Elsa87654
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Answer:

1)दुर्योधन कौरवो का राजा था।उसके मन में यह संदेह था कि गुरुजी पाण्डवों का अहित नही चाहते ।

2)गुरुजी ने बहुत देर तक सोच-विचार करने के बाद कहा – अगर अर्जुन को किसी प्रकार युध्द क्षेत्र से दूर ले जाय तो निश्चत ही कौरव विजयी होंगे ।

3) दुर्योधन ने अपने मित्र संसप्तकों के राजा से सहायता माँगी।

4) इधर गुरु द्रोणाचार्य ने अवसर का लाभ उठाकर चक्रव्यूह की रचना की । कौरवों ने पाण्डवों को युध्द का निमंत्रण दिया और चुनौती दी कि व्यूह तोड़कर दिखाए । पाण्डवों के दल में अर्जुन के अतिरिक्त व्यूह तोड़ने की विद्या कोई भी नहीं जानता था ।

5) अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर पाण्डव दल में शोक छा गया ।

Explanation:

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