(ख) तुम्हारे साथ उसका इतना ही संबंध है कि तुम एक उपादान हो, जिसके आश्रय से वह अपने से प्रेम कर सकता है, अपने
पर गर्व कर सकता है परन्तु तुम क्या सजीव व्यक्ति नहीं हो? तुम्हारे प्रति उसका या तुम्हारा कोई कर्तव्य नहीं है? कल
तम्हारी माँ का शरीर नहीं रहेगा और घर में एक समय के भोजन की व्यवस्था भी नहीं होगी. तो जो प्रश्न तुम्हारे सामने
उपस्थित होगा उसका तुम क्या उत्तर दोगी?
(ग) कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का ही नाम कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही ऐसा दिव्य
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Answer:
(ख) तुम्हारे साथ उसका इतना ही संबंध है कि तुम एक उपादान हो, जिसके आश्रय से वह अपने से प्रेम कर सकता है, अपने
पर गर्व कर सकता है परन्तु तुम क्या सजीव व्यक्ति नहीं हो? तुम्हारे प्रति उसका या तुम्हारा कोई कर्तव्य नहीं है? कल
तम्हारी माँ का शरीर नहीं रहेगा और घर में एक समय के भोजन की व्यवस्था भी नहीं होगी. तो जो प्रश्न तुम्हारे सामने
उपस्थित होगा उसका तुम क्या उत्तर दोगी?
(ग) कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का ही नाम कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही ऐसा दिव्य
Explanation:
(B) He has such a relationship with you that you are a gift, by whose shelter he can love himself, his
Can be proud but are you not a living person? He has no duty towards you or you? Tomorrow
Your mother's body will not be there and there will be no arrangement for one time meal in the house. So the question in front of you
Will you answer what will be present?
(C) The name of those who enjoy pleasure in karma is karmanya. Such a divine being in the act of higher deeds of religion and generosity