खेता विचो बदलाव की शुरुआत है जानता है
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꧁खुद में वह बदलाव लाइए, जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं। महात्मा गांधी का यह कथन आज ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि हर कोई बड़ी बेसब्री से पहले दूसरों के बदलने का इंतजार कर रहा है, और फिर उसके बाद खुद के परिवर्तन के बारे में सोच रहा है। हम सभी परिवर्तन की प्रक्रिया में खुद को बिल्कुल आखिरी में खड़ा करते हैं, लेकिन दूसरों को पहले आप-पहले आप कहकर आगे खड़ा करते रहते हैं। ऐसा क्यों होता है? शायद इसलिए कि हम अपने चश्मे से ही दुनिया को देखना पसंद करते हैं, इसीलिए अधिकांश लोगों को सामने वाले से ही परिवर्तन की अपेक्षा रहती है, खुद से नहीं।
हम सभी अपने जीवन में बदलाव तो चाहते ही हैं, लेकिन वास्तव में कोई यह नहीं जानता है कि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को शुरू कैसे किया जाए। एक मशहूर कहावत है कि ‘जैसा सोचोगे, वैसा बनोगे।’ परिवर्तन की इस प्रक्रिया के लिए हमें सबसे पहले अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। सोच में परिवर्तन हमारी वाणी और कर्मों में बदलाव लाता है, जिससे हमारे दृष्टिकोण और हमारी चेतना के स्तर में परिवर्तन आता है और हम एक बदली हुई शख्सियत बनकर सामने आते हैं। इससे हमारा स्वभाव शांतिपूर्ण बन जाता है और हमारा नजरिया स्पष्ट और सकारात्मक हो जाता है। हमारे भीतर भय की जगह आत्मविश्वास आ जाता है। हमें एक मकसद मिलता है और हम खुद अपने लिए जीने की बजाय एक मकसद से जुड़ जाते हैं। ऐसे में, अक्सर हम खुद से उठकर अपने आप को परमार्थ के किसी ऊंचे स्तर पर स्थिर करने की ओर बढ़ते हैं। क्या आप सभी ऐसे परिवर्तन की इच्छा नहीं रखते? तो शुरुआत का यह सबसे अच्छा मौका है। बस अपनी सोच को बदलिए, उसी के साथ खुद को भी बदलिए, पूरी दुनिया को बदलने का रास्ता यहीं से शुरू होगा। इसी में सबका उद्धार है और आपका भी।꧂
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