खाद्य-श्रृंखला को एक स्थलीय पारितंत्र के उदाहरण से स्पष्ट कीजिए ।
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खाद्य शृंखला में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न जीवों की परस्पर भोज्य निर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में कोई भी जीव भोजन के लिए सदैव किसी दूसरे जीव पर निर्भर होता है। भोजन के लिए सभी जीव वनस्पतियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। वनस्पतियां अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा बनाती हैं। इस भोज्य क्रम में पहले स्तर पर शाकाहारी जीव आते हैं जो कि पौधों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। इसलिए पौधों को उत्पादक या स्वपोषी और जन्तुओं को 'उपभोक्ता' की संज्ञा देते हैं।
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पारिस्थितिक तंत्र जी भोजन को ग्रहण करने के लिए एक दूसरे पर परस्पर जुड़े रहते हैं और श्रृंखला बनाते हैं यही श्रंखला खाद श्रंखला के लाती है प्रकृति में उपस्थित एक श्रंखला नीचे के गई है
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