Hindi, asked by nikhilyadav0010, 7 months ago

(ख) उद्धव यह मन निश्चय जानो।
मन क्रम बच मैं तुम्हें पठावत ब्रज को तुरत पलानो
पूरन ब्रह्म, सकल अविनासी ताके तुम ही ज्ञाता।
रेख, न रूप, जाति कुल नाहीं जाके नहि पितु माता
यह मत दै गोपिन कहं आबहु बिरह नदी में भासति।
सूर तुरत यह जाय कहौ तुम्ह ब्रह्म बिना नाहिं आसति​

Answers

Answered by somuyadav238
0

Explanation:

(ख) उद्धव यह मन निश्चय जानो।

मन क्रम बच मैं तुम्हें पठावत ब्रज को तुरत पलानो

पूरन ब्रह्म, सकल अविनासी ताके तुम ही ज्ञाता।

रेख, न रूप, जाति कुल नाहीं जाके नहि पितु माता

यह मत दै गोपिन कहं आबहु बिरह नदी में भासति।

सूर तुरत यह जाय कहौ तुम्ह ब्रह्म बिना नाहिं आसति

Answered by jyotikawreti0
0

Answer:

udho yahe man nischye jano

Similar questions