(ख) वे अपने देश में किसके पौधे लगाती थीं?
(i) आम के
(ii) अमरूद के
(iii) अजीर के
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रायपुर के किसानों को बागवानी का शौक है। किसानों की बागवानी से जहां पर्यावरण शुद्ध हो रहा है, वहीं किसान बागवानी से लाखों रुपये कमा रहे हैं। किसान आम, अमरूद, पपीता, नींबू और कटहल जैसे फलदार पौधे भारी मात्रा में लगाते हैं। किसान एक बार फलदार पौधा लगाकर आम के आम और गुठलियों के दाम की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। पौधे लगाकर किसान जहां अपने परिवार का भरण पोषण तो कर रहे हैं, वहीं रोजाना पचास से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। यहां का फल छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में भी शोभा बढ़ा रहे हैं। नईदुनिया ने ऐसे ही कुछ किसानों से उनकी बागवानी के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि पहले वे खेत में धान की फसल लगाते थे, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए पौधरोपण कर व्यापार शुरू किया था। पौधों से ही आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। मुजगहन सेजबहार निवासी शांति लाल पारख 45 एकड़ में पहले धान की फसल लेते थे, लेकिन धान सरकार को देने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। उन्होंने बताया कि उसके बाद दिमाग में आया कि क्यों न फल की खेती शुरू की जाए। उसके बाद 45 एकड़ में आम, नींबू, कटहल, मुनगा और केला लगाएं। पौधों की देखभाल की गई, जिसका नतीजा यह है कि उनका केला छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे प्रदेशों में भी भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि वह वर्तमान में 50 लोगों को प्रतिदिन रोजगार दे रहे हैं। उनका कहना था कि फल से उनको हर साल करीब दस लाख रुपये की बचत हो जाती है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण का काम भी हो रहा है। दूसरे किसान गोकुल दास डागा का 100 एकड़ में बाग है। इनका कहना है कि बागवानी लगाने से पर्यावरण के साथ ही इससे पानी का लेबल बना रहता है। वह अपने बागवानी में अमरूद, आम, सीताफल, केला पपीता की खेती कर रहे हैं। यहां का अमरूद ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली तक जाता है। इनकी बागवानी में प्रतिदिन 80 लोग काम करते हैं। बागवानी से साल में 40 लाख रुपये की बचत हो जाती है। वहीं राजिम कांकिरा निवासी पन्नाालाल नत्थानी 40 एकड़ में बागवानी कर रहे हैं। उनके यहां 80 कर्मचारी रोजाना काम करते हैं। ये अपनी बागवानी से 32 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाई कर रहे हैं।
अमरूद के
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