Hindi, asked by fk597726, 7 months ago

(खण्ड- 'क') (अपिठत बोध)
1. निम्नलिखित- गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 10
जल और मानव-जीवन का संबंध अत्यन्त घनिष्ठ है। वास्तव में जल ही
जीवन है। विश्व की प्रमुख संस्कृतियों का जन्म बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे ही हुआ
है। बचपन से ही हमजल की उपयोगिता, शीतलता और निर्मलता के कारण उसकी
और आकर्षित होते रहे हैं स्वच्छ और शीतल जल में तैरना तन को स्फूर्ति ही नहीं
मन को शांति भी प्रदान करता है। तैराकी आनद की वस्तु होने के साथ-साथ
हमारी आवश्यकता भी है। प्राचीनकाल में नौकरी नहीं थी तब मनुष्य को तैरकर ही
नदियों को पार करना पड़ता था। किन्तु मनुष्य में अन्य प्राणियों की भांति तैरने की
जन्मजात क्षमता नहीं है। जल में मछली आदि जल जीवों को स्वच्छंद विचरण करते
देख मनुष्य ने उसी प्रकार तैरना सीखने का प्रयत्न किया और धीरे-धीरे उसने इस
कार्य में इतनी निपुणता प्राप्त कर ली कि आज तैराकी एक कला के रूप में गिनी
जाने लगी। विश्व भर में जो भी खेल प्रतियोगिताए आयोजित की जाती है उनमें
तैराकी प्रतियोगिता अनिवार्य रूप से सम्मिलिति की जाती है।
मनुष्य का जल के प्रति आकर्षण कैसे बढ़ा?
आदिम मनुष्य को तैराकी की प्रेरणा किसे देखकर मिली होगी?
(iii) तैराकी की विश्व में महता किस प्रकार प्रकट होती है?
-(iv)
2) प्राचीन काल में मनुष्य नदी कैसे पार करता था?
(v) विश्व की संस्कृतियों का जन्म कहां हुआ है?
(vi) गद्यांश की उचित शीर्षक लिखिए।
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Answers

Answered by roshni6286
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Answer:

1. बचपन से ही हमजल की उपयोगिता , शीतलता, और निर्मलता के कारण मनुष्य जल के प्रति आकर्षित हुआ ।

2. आदिम मनुष्य को तैराकी की प्ररेणा जल में मछली आदि जल जीवों को स्वच्छंद विचरण करते देखकर मिली होगी

3. तैराकी को एक कला के रूप में गिना जाने लगा। विश्व भर में जो खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है उसमें तैराकी को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है ।

4. प्राचिन काल में मनुष्य नदियों को तैरकर पार करता था।

5. जल और मानव जीवन ।

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