खण्ड 'क' (अपठित गद्यांश)
नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।
मांगलिक अवसरों पर पुष्प मालाओं का महत्व कोई नया नहीं है पुष्प मालाएँ अर्पि
करने के पीछ मनुष्य की ऐसी ही भावनाएँ थी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है फूलों की
मालाओं को धारण करना। जितना सम्मान, फूलों की माला पहनकर किसी अति
विशिष्ट व्यक्ति को दिया जाता है उसकी सार्थकता तभी है जब वह व्यक्ति अपने
गले में धारण कर उसे स्वीकार करे। यदि वह विशिष्ट व्यक्ति उसे धारण नहीं
करता है तो वह अप्रत्यक्ष रूप से स्वंय उस सम्मान का तिरस्कार करता है। इसर
न सिर्फ पुष्प माला पहनाने वालों का बल्कि उन फूलों का भी अपमान होता है जो
उसमें गूंथे जाते है। वर्तमान लोक रीति में पुष्प मालाओं का ऐसा अपमान शिक्षित
एवं सुसंस्कृत कहे जाने वाले वर्गों में देखा जा सकता है। किसी भी शुभ अवसर
पर मुख्य अतिथि या विशिष्ट व्यक्ति को पुष्प मालाएँ पहनाई तो जाती है। लेकिन
न जाने किस कुंठा या कुसंस्कार के कारण उसे गले से निकालकर सामने टेबल
पर रख लेते हैं। या स्वनामधन्य मंत्री अपने पी०ए० या सुरक्षाकर्मियों को सौंप दे
हैं। जो जाते समय या तो छोङ जाते है या रास्ते में फेंक जाते हैं। पुष्पों का,पहना
वालों का और स्वंय खुद का वह इस प्रकार अपमान कर जाते हैं जिससे पता
चलता है कि विशिष्ट कहे जाने वाले व्यक्तियों में इतनी पात्रता नहीं है कि वे उस
पुष्प माला को अपने गले में धारण कर सकें।
पुष्प मालाओं का अपमान कब होता है ?
विशिष्ट कहे जाने वाले व्यक्ति की पात्रता पर प्रश्नचिन्ह कब लग जाते
हैं?
प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है और
क्यों?
पुष्पमाला का पहनाना कब सार्थक होता है?
Answers
Answer:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
आज वह नहीं है। दिल्ली में बीमार रहे और पता नहीं चला। बांह खोलकर इस बार उन्होंने गले नहीं लगाया। जब देखा जब
ने बाहे दोनों हाथों की सूजी अंगुलियों को उलझाए ताबूत में जिस्म पर पड़ी थी। जो शांति बरसती थी, वह हर र चिट
थी। तरलता जम गई थी। वह 18 अगस्त, 1982 की सुबह दस बजे का समय था। दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन
कब्रगाह में उनका ताबूत एक छोटी-सी नोली गाड़ी में से उतारा गया। कुछ पादरी, रघुवंशजी का बेटा और उनके परिजन
राजेश्वर सिंह उसे उतार रहे थे। फिर उसे उठाकर एक लंबी संकरी, उदास पेड़ों की धनी छांह वाली सड़क में जमा
आखिरी छोर तक ले जाया गया, जहां धरती की गोद में सुलाने के लिए कब अवाक् मुंह खोले लेटी यो ऊपर काल
बनी डोह घी और चारों ओर कब्रे और तेज़ धूप के वृत्त।
हक आज वह नहीं हैं वाक्य में 'वह' शब्द किसके लिए
Explanation:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
आज वह नहीं है। दिल्ली में बीमार रहे और पता नहीं चला। बांह खोलकर इस बार उन्होंने गले नहीं लगाया। जब देखा जब
ने बाहे दोनों हाथों की सूजी अंगुलियों को उलझाए ताबूत में जिस्म पर पड़ी थी। जो शांति बरसती थी, वह हर र चिट
थी। तरलता जम गई थी। वह 18 अगस्त, 1982 की सुबह दस बजे का समय था। दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन
कब्रगाह में उनका ताबूत एक छोटी-सी नोली गाड़ी में से उतारा गया। कुछ पादरी, रघुवंशजी का बेटा और उनके परिजन
राजेश्वर सिंह उसे उतार रहे थे। फिर उसे उठाकर एक लंबी संकरी, उदास पेड़ों की धनी छांह वाली सड़क में जमा
आखिरी छोर तक ले जाया गया, जहां धरती की गोद में सुलाने के लिए कब अवाक् मुंह खोले लेटी यो ऊपर काल
बनी डोह घी और चारों ओर कब्रे और तेज़ धूप के वृत्त।
हक आज वह नहीं हैं वाक्य में 'वह' शब्द किसके लिए