खण्ड-क
(साहित्यिक एवं वर्णनात्मक गद्यांश)
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर अन्त में दिए गए
प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
पुराने समय से ही युद्ध में सैनिकों का उत्साह बढ़ाने
के लिए वाद्य यंत्रों के साथ गीत-संगीत का प्रयोग
होता आया है। संगीत की स्वर लहरी वीर सैनिकों में
उत्साह का संचार करती है। देश-भक्ति के गीत सुन
सुनकर सैनिक दुश्मनों के लिए काल और मृत्यु बन
जाते हैं। रणभूमि में बिगुल सुनकर उनका रोम-रोम
वीरता की उमंगों से भर जाता है। दिल में कुछ कर
गुजरने का तूफान उठने लगता है। हमारे देश में जब
जब संकट आया है, भारत के फौलादी फौजियों ने
दुश्मनों को इस बात का एहसास दिला दिया, जो
हमसे टकराएगा, चूर-चूर हो जाएगा। इस तरह फौजियों
और स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए
दुहाई दी। इसी तरह कश्मीर के मामले में जब-जब
दुश्मनों ने कश्मीर को हथियाने की कोशिश की तब
तब फौजियों ने सीना तानकर दुश्मनों का सामना किया
और कहा, "दूध माँगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर माँगोगे
तो चीर देंगे।" इस तरह के नारों ने दुश्मनों के दिल
दहला दिए। धीरे-धीरे समय बदला और यह देश
भक्ति की भावना ने नारे लगाना, देश-भक्ति गीत में
बदलने लगा। स्वतन्त्रता संग्राम के यज्ञ की ज्वाला को
धधकाने में वन्दे मातरम् गीत ने घी का काम किया।
फिल्मी उद्योग ने भी लोगों के दिलों में देश-भक्ति
की भावना को जागरूक करने के लिए देश-भक्ति की
फिल्में बनानी शुरू कर दी। यदि यह फिल्में देश
भक्ति की भावना से परिपूर्ण हों, नो देश के जवानों में
ही नहीं, देशवासियों में भी देश पर मर मिटने का
उत्साह पैदा होता है।
(0 प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) प्राचीन काल में युद्ध में सैनिकों का उत्साह
कैसे बढ़ाते थे ?
(ii) संगीत की स्वरलहरी का क्या प्रभाव होता है ?
(iv) स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में कौन-सा गीत
प्रचलित था ?
(1) 'दिल-दहलाने' से क्या तात्पर्य है ?
(४) देश पर आए संकट के समय सैनिकों ने क्या
किया ?
(vii) नारों से क्या लाभ होता है ?
(vii) फ़िल्मी उद्योग का देशभक्ति में क्या योगदान
है ?
(t) आग में घी का काम करने से क्या आशय है ?
c) देश पर मर मिटने का उत्साह कैसे पैदा होता
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