[खण्ड-क]
१} दिए गए गद्यांश को पढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
मित्र के चुनने में युवक को विवेकशील होना चाहिए । केवल किसी का हँसमुख चेहरा देखकर या उसकी
मीठी बातें
सुनकर उसे अपना मित्र नही बना लेना चाहिए। मित्रता जीवन की औषध है । एक सच्चा मित्र
हमारे उत्तम संकल्पों को दृढ करता है, दोषों और त्रुटियों से बचाता है और हमें सत्कार्य करने के लिए
प्रोत्साहित करता है । सच्चा मित्र वैद्य के समान निपुण तथा माता-पिता के समान धैर्यशाली और कोमल
होता है।
छात्रावास्था में मित्रता की धुन सवार होती है । बाल मैत्री में जो आनंद होता है;
मधुरता, अनुराग और विश्वास होते है; रूठना और मानना होता हैं; वह युवावस्था की मित्रता में नहीं।
युवावस्था की मित्रता अधिक दृढ, शांत और गंभीर होती है । युवावस्था में इस प्रकार के मित्र चाहिए, जो
जीवन-संग्राम में साथ देनेवाले हों। ऐसे मित्र सच्चे पथ-प्रदर्शक होने चाहिए, जिन पर पूरा विश्वास किया
जा सके । मित्र भाई के समान होना चाहिए, जिसे हम अपना प्रीतिपात्र बना सकें । मित्रता के लिए यह
आवश्यक नही कि उनके आचरण, कार्य और गुण में समानता ही हो । दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में बराबर
मित्रता का निर्वाह देखा गया है । वस्तुतः समाज में विभिन्नता देखकर लोग एक-दूसरे की ओर आकृष्ट
होते हैं । जो गुण एक में नही हैं, वह यदि दूसरे में है, तो मित्रता के लिए शुभ ही कहा जाएगा।
क) विवेकशील व्यक्ति किस प्रकार अच्छे मित्र का चयन करता है ?
ख} सच्चे मित्र की तुलना लेखक ने 'वैद्य' से क्यों की है ?
ग) मित्र में माता-पिता वाले कौन-से गुण होते हैं ?
घ} युवावस्था में किस प्रकार के मित्र चाहिए ?
ङ) समाज में किस गुण को देखकर लोग आकृष्ट होते हैं ?
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( घ) जीवन संगाम मे साथ देने वाले हो। एसे मित्र सच्चे पथ पदशक होने चाहिए , जिन पर पूरा
विश्वाश किया जा सके।
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