खरी दुहेली होई " इस पंक्ति का क्या अर्थ है ? give me correct answers plssss
Answers
पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें। दूसरी पंक्ति में कबीर का कहना है कि अपने मन के अहंकार को त्याग कर हम ऐसी मीठी वाणी बोलनी चाहिए कि सभी हमारी ओर आकर्षित हो जाएं। ... मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं।
Answer:
कबीर घास न निंदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
उड़ी पडै़ जब आँखि मैं, खरी दुहेली हुई।।
अर्थ: कबीरदास के अनुसार प्रत्येक छोटी-छोटी वस्तु अपने आप में महत्वपूर्ण है। घास का एक-एक टुकड़ा, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, अपने आप में मूल्यवान है। मनुष्य उस पर कदम रखना चाहता है क्योंकि वह इसे एक छोटे से भूसे के रूप में देखता है, लेकिन अगर यह हवा में उड़ जाता है और उसकी आंखों में उतरता है, तो उसे बहुत दर्द होगा और उसे कोई शांति नहीं मिलेगी। एक आदमी तब तक आराम नहीं कर सकता जब तक वह अपनी आंख से तिनका नहीं निकाल लेता। इसी वजह से इस दुनिया में कोई भी कमजोर नहीं है, चाहे बात कितनी ही छोटी क्यों न हो। किसी को भी कमजोर के रूप में नहीं देखा जाना
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►
brainly.in/question/18096314
https://brainly.in/question/9083100
#SPJ3