खरबूजा चुनत समय भगवाना के साथ क्या हुआ|
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प्रोत्साहित करने के लिए देते हंै सब्सिडी : सहायक डायेरक्टर
मिठास की वजह से दोनां क्षेत्र का खरबूजा बिक जाता है एडवांस में
खरबूजे की महक जा सकती है विदेशों तक : कुलदीप
पंजाबके दोनां क्षेत्र में गर्मियों की स्वादिष्ट खरबूजे की फसल को देख कर इलाके के किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष खरबूजे की फसल को पाउड्री मिलाडी नामक फफूंदी ने अपने शिकंजे में ले लिया था, और दोनां क्षेत्र के किसानों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ा था। जिसके चलते छोटे किसानों ने तो इस वर्ष खरबूजे की बीजाई का इरादा ही छोड़ दिया। परन्तु जिन किसानों ने पिछले वर्ष की मायूसी के बावजूद भी भगवान के भरोसे इस वर्ष भी खरबूजे की फसल की बिजाई की तो उनके तो वारे न्यारे हो गये है।
डॉ. कुलविंदर सिंह
बागवानी विभाग के सहायक निर्देशक कुलबिंदर सिंह वह किसानों को फसल के बचाव के लिये जानकारी मुहैया करवा रहा है। खरबूजे की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए बीज खाद के लिए प्रति एकड़ 8 हजार की सब्सिडी दी जा रही है। जिले में हर वर्ष खरबूजे तरबूज के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। 2015-16 में 1700 हेक्टेयर भूमि में खरबूजा 270 हेक्टेयर भूमि में तरबूज की बिजाई हुई।
जोखिम भरी काश्त होने के बावजूद भी आंकड़े इस बात की गवाही देते है कि दोनां क्षेत्र की बिजाई हेतू लगभग 80 प्रतिशत भूमि पर खरबूजे की खेती की जाती है। जिसका मुख्य कारण यह बताया जाता है कि किसानों को इस फसल को बेचने में उनको किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होती है क्योंकि इस क्षेत्र में उत्पादित खरबूजे की मिठास के चलते बाहरी राज्यों के व्यापारी फरवरी माह में खरबूजे की बिजाई के फौरन बाद ही किसानों को उनकी फसल की खरीद के लिये पेशगी रकम अदा कर देते है। अधिकांश फसल की बिक्री बिना मंडियों के हो जाती है, जिसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ता है।
गांव वृन्दपुर के एक जत्थे. कुलदीप सिंह जोकि 40 वर्षों से खरबूजे की खेती कर रहा है का मानना है कि अगर भगवान मेहरबान रहे तो तीन महीने की मेहनत से एक एकड़ से 100 क्विंटल खरबूजे का उत्पादन हो जाता है। सभी खर्चे निकाल 20 से 25 हजार का मुनाफा होता है। जम्मू कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उतरांचल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात बिहार आदि राज्यों में भेजते है। सिधवां दोनां के सुखदेव सिंह का मानना है कि अगर राज्य सरकार खरबूजे की खेती के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाए और फसल नष्ट होने पर मुआवजे दे तो किसान प्रोत्साहित होगा और यहां के उत्पादित खरबूजे की महक विदेशों तक भी पहुंचेगी।
जिला के दोनां क्षेत्र मे पड़ते भुलाना, वृन्दपुर, झलबीबड़ी, मोठां वाला, रत्ता कदीम, सिधवां दोनां भंडाल दोनां आदि गावों में समूचे देश के मुकाबले खरबूजे की पैदावार सबसे अधिक होती है। फसल की बिजाई फरवरी माह में आलुओं की पुटाई के फौरन बाद ही की जाती है, और इसका फल मई-जून में प्राप्त होता रहता है। यहां मुख्यत गोल्डन, फार्मर ग्लोरी, नामधारी मधु आदि किस्म की बिजाई होती है।
krpaya mujhe chihnit karen me brainlinest
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thanks for the points mate