kis vriddh Bihari yudhane angrejon ko Ran Mein Hara Diya
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उस बीमार वृद्ध बिहारी योद्धा का नाम था निशान सिंह।
Explanation:
1857 में स्वतंत्रता की वेदी पर अपनी बलि चढ़ाने वाले और अपने युद्ध कौशल वीरता और साहस से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले वीर योद्धा निशान सिंह का जन्म बिहार के रोहतास जिले में शिवसागर प्रखंड के बड्डी गांव में जमीदार रघुवर दयाल सिंह के घर पर हुआ था। निशांत सिंह जो कि एक संपन्न परिवार से थे और वह स्वयं एक जागीरदार रहे थे। 1857 में जब सारे भारत में स्वाधीनता संग्राम छिड़ गया था, तब दानापुर में भी भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। तब निशान सिंह ने विद्रोही सेना की पूरी सहायता की और उसका तन-मन-धन से खुलकर साथ दिया। इस तरह निशान सिंह के नेतृत्व में इस विद्रोही सेना ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और अंग्रेजी सेना को बुरी तरह हरा दिया। निशान सिंह खुद एक बहुत कुशल सेनानायक थे और उन्होंने कुशलता पूर्वक विद्रोही सैनिकों का नेतृत्व किया। उनके कुशल नेतृत्व में विद्रोही सेना ने अंग्रेजों के ऐसे छक्के छुड़ाए कि अंग्रेजों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। काफी समय तक निशान सिंह अंग्रेजों के लिए खौफ का पर्याय बन चुके थे। अंग्रेज उनके नाम से थरथर कांपते थे। बाद में उम्र बढ़ने पर वृद्ध होते गए और उनके साथी कुंवर सिंह के निधन के बाद निशांत सिंह भी कमजोर और असहाय हो गए। अंग्रेजों ने उन्हें किसी तरह गिरफ्तार कर लिया और उन्हें तोप से उड़ा दिया। इस तरह निशान सिंह ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
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"निशान सिंह" वृद्ध बिहारी योद्धा ने,गोरों को रण में हरा दिया.
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