Kishore avastha mai aakarshan kis parkar hota hai
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किशोरावस्था का विकास होते समय किशोर को अपने ही समान लिंग / विषमलिंगी के बालक से विशेष प्रेम होता है। यह जब अधिक प्रबल होता है, तो समलिंगी विषमलिंगी कामक्रियाएँ भी होने लगती हैं। बालक की समलिंगी विषमलिंगी कामक्रियाएँ सामाजिक भावना के प्रतिकूल होती हैं, इसलिए वह आत्मग्लानि का अनुभव करता है। अत: वह समाज के सामने निर्भीक होकर नहीं आता। समलिंगी विषमलिंगी प्रेम के दमन के कारण मानसिक ग्रंथि मनुष्य में पैरानोइया नामक पागलपन उत्पन्न करती है। इस पागलपन में मनुष्य एक ओर अपने आपको अत्यंत महान व्यक्ति मानने लगता है और दूसरी ओर अपने ही साथियों को शत्रु रूप में देखने लगता है।
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