Koyal ki kook sunkar kavi ki kya prtikriya this
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कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि वह वावली हो गई है। ✯ वह कवि को क्रांति का संदेशा देना चाहती है। ✯ फिर सोचते हैं कि कोयल से मेरी कष्टों को सहा नहीं जा रहा है, इसी कारण वह आंसू बहाकर चीख रही है।
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