Krishna ki chetavni kavita ka Saransh
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मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। संहार झूलता है मुझमें। उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
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Answer:गुड मॉर्निंग एवरीवन कैसे हैं आप सब
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