kundaliya ka udaharan
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Answer:दौलत पाय न कीजिये, सपनेहुँ अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाँव न रहत निदान।।
ठाँव न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे वचन सुनाय, विनय सब ही सौं कीजै।।
कह 'गिरिधर' कविराय अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निशि दिन चारि, रहत सबही के दौलत
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