World Languages, asked by dranjna870gmailcom, 7 months ago

" 'लुब्धस्य "
क पंचमी
ग सप्तमी
अत्र का विभक्तिः ?
ख तृतीया
__घ षष्ठी​

Answers

Answered by teestaghosh2008
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Answer:

हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीय के रूप में मनाया जाता है। इस बार अक्षय तृतीया 26 अप्रैल यानी रविवार को होगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन से त्रेता युग का आरम्भ हुआ था। भगवान परशुराम का अवतार भी इसी दिन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनाथ धाम में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा विशेष महत्व होता है और विशेष रूप से इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए के लिए ये एक बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है।

 

अक्षय तृतीया का महत्‍व

अक्षय तृतीया का पर्व सौभाग्य और सम्पन्नता को देने वाला होता है। इस दिन किए गण्‍ कार्य का कभी क्षय नहीं होता। इसलिए शुभ और मंगल कार्यों के लिए अक्षय तृतीयाका दिन बहुत शुभ होता है। अक्षय तृतीया को एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण अर्थात सोना खरीदने की परम्परा है और इसे बहुत शुभ और घर में अक्षय समृद्धि को बढ़ाने वाला माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन किया गया कार्य अक्षय रहता है और उसका कभी ह्रास नहीं होता। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन जप-तप पूजा और दान-पूण्य का भी बहुत महत्व है। इस दिन सामर्थ्‍य अनुरूप दान अवश्य करना चाहिए।

 

इस बार अक्षय तृतीया पर हैं खास योग

वैसे तो अक्षय-तृतीया शुभ दिन होता ही है पर इस बार 26 अप्रैल को कई ऐसे विशेष योग बन रहे हैं जिससे इस बार की अक्षय तृतीया बहुत अधिक शुभ परिणाम देने वाली होगी। इस बार अक्षय तृतीया के दिन वृष राशि में चन्द्रमा और शुक्र एकसाथ होने से महाशुभ लक्ष्मी योग बनेगा जिसे धन-समृद्धि बढ़ाने वाला योग माना गया है। अक्षय-तृतीया के दिन सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहु और केतु ये पांचों ग्रह अपनी उच्च राशि में होंगे जो अपने आप में राजयोग कारक हैं। इस दिन धन-समृद्धि और ऐश्वर्य का ग्रह शुक्र भी अपनी राशि वृष में रहेगा। ऐसे में अक्षय तृतीया पर की गई पूजा, मंत्र, जाप और दान कई गुना अधिक शुभ परिणाम देने वाले रहेंगे।

 

परिवार में ऐसे करें पूजन

पूजास्थल के पास लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर लक्ष्मी माँ की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। उसके पास ही अपने स्वर्ण आभूषण रख दें। घी का दीपक धूप आदि जलाएं। फिर माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए श्रीसूक्त का पाठ करें।फिर लक्ष्मी माँ की आरती करते हुए परिवार में समृद्धि और शांत की कामना करें। घर में बनी खीर का भोग लक्ष्मी माँ को लगाएं और इसे प्रसाद सवरूप परिवार के सभी लोग ग्रहण करें।

 

यह खास उपाय भी देंगे लाभ

11 बार श्रीसूक्त का पाठ करें।

ॐ श्रीम श्रीये नमः इस मंत्र का 5 से 11 माला जाप करें।

108 मखानों की माला बनाकर लक्ष्मी माँ को अर्पित करें।

यह है श्रेष्‍ठ समय

26 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन सुबह 6:45 से 8:45 यानि के पौने सात से पौने नौ बजे स्थिर लग्न (वृष) का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा जो अक्षय पूजन के लिए श्रेष्ठ होगा। इसके 11:45 से 12:15 के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी अक्षय तृतीया के पूजन के लिए श्रेष्ठ समय होगा।

(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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