लोभ पाप का मूल है , लोभ मितावत मान , लोभ कभी ना कीजिए , यामे नरक निदान
Answers
Answered by
0
Answer:
लोभ कभी नहिं कीजिए, या मैं नरक निदान।। सप्रसंग व्याख्या : यह पंक्तियां कभी भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित 'अंधेरनगरी' नामक पाठ से ली गई है।
Similar questions