Hindi, asked by rajd10980, 4 months ago

लाचार और बेबस महिला से आप अपने कल्पना शक्ति के आधार पर वार्तालाप संवाद​

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Answered by anjubisen020
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Explanation:

मेरा भी है अस्तित्व बड़ा,

औरत को तू ना जान सका।

और खुद को समझे है बड़ा,

घर-आँगन मुझसे ही खिलता,

पूरा संसार मुझमें है पलता,

फिर भी घमंड तू है करता,

औरत को तू खिलौना समझता।

औरत से ही जन्मा तू,

औरत ने ही पाला है,

फिर भी उसे निचा दिखाकर

तूने पहनी मर्दाग्नि की माला है।

जान पे अपनी खेलकर

इस दुनिया में लाती तुझे,

फिर भी पैर की जूती समझे,

और मारता है मुझे।

मैंने खुद आग में जलकर,

तुझको प्यार से सींचा है

फिर भी मुझे पीछे छोड़

अपनी ईगो को रखा ऊँचा है।

माँ, बहन, पत्नी हूँ मैं,

तुझको इतना प्यार देती,

न बदले में कुछ चाहती,

फिर भी तेरा खौफ खाती।

हर दिन दुआ है करती

कि हमेशा रहे सही सलामत तू,

फिर भी तू समझे ना ये

कि है क़र्ज़ में डूबा तू,

खुद को हीरो समझता है,

मुझको जीरो कहता है,

मुझसे ही वजूद तेरा,

लेकिन खुद पे ही इतराता है।

तेरी गन्दी नज़रे घूरती मुझे,

भीड़ में तू छेड़ता मुझे,

अकेले में चीरता मुझे,

दिन रात सताता मुझे,

फिर भी ना तुझसे हारूँगी,

ना खुद को मारूँगी,

हर बात का हिसाब करूंगी।

डट कर तेरा सामना करूंगी,

ना रोउंगी न भागूंगी,

हर मुश्किल का मुकाबला करूंगी।

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