लोगों के धर्म ईमान की चिंता किसे और क्यों हो रही थी। पाठ - 'दुख के अधिकार' के आधार पर बताइए।
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¿ लोगों के धर्म ईमान की चिंता किसे और क्यों हो रही थी। पाठ - 'दुख के अधिकार' के आधार पर बताइए।
✎... धर्म ईमान की चिंता बाजार के लोगों को हो रही थी, जहाँ पर बढ़िया खरबूजे बेच रही थी। उन्हें अपने धर्म-ईमान की चिंता थी। लोग कह रहे थे कि इसका जवान बेटा कल ही मरा है और आज यह खरबूजे बेचने आ गई। इसको सूतक लगा है, अभी से घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए था। बुढ़िया को धर्म-ईमान की कोई चिंता नहीं थी। इसका धर्म-ईमान तो केवल रुपया पैसा है। इस तरह के कटाक्ष करते बाजार के लोग अपना धर्म भ्रष्ट होने की वजह से उसे खरबूजा खरीद भी नहीं रहे थे और लाचार बुढ़िया पर कटाक्ष कर रहे थे। उन्हें बुढ़िया द्वारा खरबूजा बेचे जाने की मजबूरी के कारण का एहसास नहीं था क्योंकि वे सब संवेदनहीन थे।
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दुख का अधिकार कहानी का मूल भाव क्या है ?
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