लिंग विधान और लिंग परिवर्तन का विवेचन कीजिए
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यहाँ सभी नामों या संज्ञाओं को दो ही वर्ग, अर्थात्, स्त्री और पुरुष में रखा गया है। कामता प्रसाद गुरु के अनुसार शब्द के जिस रूप से वस्तु की जाति (स्त्री या पुरुष) का बोध होता है उसे लिंग कहते हैं। व्याकरण की दृष्टि से कुछ भाषाओं में चार लिंग, कुछ में तीन लिंग कुछ में दो लिंग तथा कुछ में एक ही लिंग का विधान होता है।
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