लँगड़े को पाँव और
लूले को हाथ दे.
रात की संभार में
मरने तक साथ दे,
बोले तो हमेशा सच
सच से हटे नहीं,
झूठ के डराए से,
हरगिज़ डरे नहीं,
सचमुच वही सच्चा है।
माथे को फूल जैसा
अपने चढ़ा दे जो,
रुकती-सी दुनिया को
आगे बढ़ा दे जो,
मरना वही अच्छा है।
प्राणी का वैसे और
दुनिया में टोटा नहीं,
कोई प्राणी बड़ा नहीं
कोई प्राणी छोटा नहीं।
-भवानी प्रसाद मिश्र
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Explanation:
Jo log apahij he or Vivas hai unhe besahara Nahi mahsos karana Chahiye or hum logo ko un logo ki madad Karni Chahiye or hume sachai ki rah par Chalna Chahiye jis Tarah ki Kabhi hmme mrityu prapth ho to acche kaam karkar hmm punya prapti karkar jab samay aayega tab swarg me jayenge
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दी गई कविता भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित कविता है। इस कविता का सारांश निम्नलिखित है।
- दी गई कविता भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित कविता है, कविता का शीर्षक है प्राणी वही प्राणी है।
- कवि ने इस कविता में प्राणी या मनुष्य के उस गुण को बताया जो किसी प्यासे को शांत करे , सूखे होठों को तर करे व बोल प्रदान करे वह पानी है अर्थात जो अपनी बुद्धि से जाम के वही प्राणी है।
- इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक नजर से देखना चशुरे। किसी को भी जन्म को आधार मानकर अछूत कहना बहुत बड़ा अपराध है। कोई छोटा या बड़ा नही होता, किसी को निम्न जाति का मानकर मंदिर में प्रवेश न करने देना तथा मारपीट करना सर्वथा गलत है।
- ऊंच नीच का भेदभाव नहीं करना चाहिए। मनुष्य - मनुष्य में भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- सभी मनुष्यों को भगवान ने एक समान बनाया है।
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