Math, asked by vverma34967, 3 months ago

लाहा पाठक
पर माहनक
पि
13. (क) शास्त्री तथा चित्रपट-संगीत में क्या अंतर है ? ​

Answers

Answered by sunjai4
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Answer:

हमारे जीवन में ध्वनि की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हम चारों ओर से ध्वनियों से घिरे हुए हैं। योग शास्त्र में कहा जाता है – नाद ब्रह्म; यानी ध्वनि ही इश्वर है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि हमारा शरीर और सारा जगत एक ध्वनी या फिर कंपन ही है। इसका अर्थ है कि अलग-अलग तरह की ध्वनियों हम पर अलग-अलग तरह के असर डाल सकती हैं। ध्वनी की इसी समझ से जन्म हुआ है भारतीय शास्त्रीय संगीत का। आइये आगे जानते हैं सद्‌गुरु से भारतीय संगीत के बारे में...

भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो मूल शाखाएं हैं। कर्नाटक संगीत, जिसका संबंध दक्षिण से है और हिंदुस्तानी संगीत जो उत्तर भारत का संगीत है। हिंदुस्तानी संगीत में ध्वनि का महत्व ज्यादा है, जबकि कर्नाटक संगीत में भावों का। ऐसा नहीं है कि कर्नाटक संगीत के जानकारों को ध्वनि का कोई ज्ञान नहीं है, बेशक ज्ञान है, लेकिन इसमें भाव प्रधान रहता है। हो सकता है, काफी पहले ऐसा न हो, लेकिन पिछले चार सौ साल के दौरान कर्नाटक संगीत में ध्वनि की जगह भाव मुख्य हो गए हैं। ऐसा भक्ति आंदोलन के कारण हुआ है जो दक्षिण भारत में चलाया गयाथा। आज जो भी कर्नाटक संगीत है, उसमें से ज्यादातर की रचना त्यागराज और पुरंदरा दास जैसे भक्तों ने की थी और इस तरह संगीत में ज्यादा से ज्यादा भाव लाया गया। दूसरी तरफ हिंदुस्तानी संगीत में भावों की जगह ध्वनी को मुख्य स्थान दिया गया। इसमें ध्वनि का इस तरह इस्तेमाल किया गया, जिससे यह मन और शरीर पर एक ख़ास प्रभाव डाल सके। हिंदुस्तानी संगीत के तहत संगीत के कई अनुभाग हैं। हर अनुभाग संगीत की एक ख़ास तरह की रचना पर ध्यान देता है। अगर आप हिंदुस्तानी संगीत की वाकई में खूबी जानना चाहते हैं, तो आपको कम से कम एक से दो साल की ट्रेनिंग की जरूरत होगी। यह ट्रेनिंग आपको इस लायक बना देगी कि आप इस संगीत की बारीकियों की तारीफ कर सकें। सीखने या किसी संगीत समारोह में प्रदर्शन करने के लिए काफी ज्यादा अभ्यास की जरुरत है। इसमें ध्वनि का इस तरीके से प्रयोग किया जाता है, कि अगर आप इसे ग्रहण करने के लिए तैयार हैं तो आपके साथ चमत्कारिक चीजें हो सकती हैं।

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