लैक्टोमीटर के कोई दो उपयोग लिखिए।
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लैक्टोमीटर (दुग्ध घनत्वमापी )
लैक्टोमीटर एक ऐसा वैज्ञानिक उपकरण हेाता है जिसकी सहायता से हम दूध की शुद्धता का पता लगा सकते है । लेक्टोमीटर का आविष्कार लीवरपूल के वैज्ञानिक डिकास के द्वारा किया गया था। लेक्टोमीटर की सहायता से दूध मे मिलाये गये पानी की मात्रा का पता लगा सकते है । यह एक कॉच की नली नुमा उपकरण होता है जो एक सिरे पर पतला होता है तथा दूसरे सिरे पर मोटा रहता है । लैक्टोमीटर से दूध की शुद्धता का पता लगाते समय उसको दूध के सेंपल मे डालते है तथा यह कुछ ही समय मे रीडिग देकर हमे दूध की शुद्धता अथवा अशुद्धता की जानकारी दे देता है । सामान्यत: शुद्ध दूध की रीडिंग 32 आती है लेकिन यदि दूध मे कुछ मिलावट होती है तो यह रीडिग को कम या ज्यादा बताता है। अगर हम दूध मे पानी की बात करे तो सबसे ज्यादा पानी गधीं के दूध मे 91.5 प्रतिशत घोडी मे 90.1 प्रतिशत मनुष्य में 87.4 प्रतिशत ,गाय मे 87.2 प्रतिशत उंटनी मे 86.5प्रतिशत तथा बकरी मे 86.9 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है । दूध की इसी तरलता का फायदा उठाकर कुछ मिलाबटखोर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर मे दूध मे पानी मिलाकर दूध को अधिक दामो पर बेचते है । और ग्राहक के पैसो से गलत तरीके से मुनाुुफा कमाते है । इसी मिलाबट का पता लगाने के लिये लैक्टोमीटर काम आता है
लैक्टोमीटर का कार्यसिद्धांत
लैक्टोमीटर दूध मे पानी का पता दूध तथा पानी के घनत्व का पता लगाकर करता है । दूध मे पानी मिलाने पर दूध के घनत्व मे परिवर्तन आ जाता है और उसकी तरलता भी बदल जाती है यदि हम दूध के घनत्व का मापन कर ले तो दूध मे मिलाये जाने वाले पानी की मात्रा भी आसानी से पता लगा सकते है लैक्टोमीटर आर्किमिडीज के सिद्धांत पर कार्य करता है । लैक्टोमीटर की संरचना इस बात पर आधारित होती है कि द्रव मे आशिंक रूप से डूबे हुये भाग का भार और संतुलित पिंड का भार उतने द्रव के भार के बराबर होता हे जो कि पिंड का डूबा हुआ भाग विस्थापित करता है।
उपयोग
लैक्टामीटर एक बहुत ही सस्ता और उपयोगी उपकरण है जिसका प्रयोग दूध मे मिलाये जाने वाले पानी की मात्रा का पता लगाने के लिये किया जाता है ।
दोस्तो आशा करते है कि आपको हमारा ये article पसन्द आया होगा तथा अगर आपके मन मे अभी भी लेक्टाेेमीटर के बारे मे कोई doubt है क्रप्या कमेंट सेक्शन मे अपनी कीमती राय जरूर दे।
धन्यवाद
Answer:
Lactometer is a small glass instrument that is used to test the purity of milk it works on the principle of specific gravity of milk
Explanation:
Hope it is helpful for you