Hindi, asked by rahul4682, 9 months ago

लॉकडाउन के दौरान हुए अपने अनुभवों को लिखिए. plz tell me the answer.​

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Answered by madhavdhengare
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Answer:

कोरोना वायरस — ऐसा वायरस जो ऊँची ऊँची इमारतों में रहने वालों के साथ प्लेन से सफर कर हमारे भारत देश में आया और बस्तियों में रहनेवाले करोड़ो लोगों के साथ ही सड़कों पर बेघरों की जिंदगी जीने वाले, कूड़ा-कचरा-प्लास्टीक बेचकर गुजारा करने वाले और नाका कामगार, फेरीवाले जो रोज का कमाते है इन लोगोंके भय का कारण बना | इन लोगों के आंसुओ का और भुखमरी का बुनियादी कारन बना माहामारी की वजह से सरकार द्वारा लिए गए शीघ्र निर्णय जैसे की निषेधाज्ञा (curfew) और लॉकडाउन (lockdown) । इस निर्णय के गंभीर परिणाम समाज के एक ऐसे तपके पर हुए जिसे हम अनऑर्गनाइज सेक्टर (असंगठित कामगार — नाका कामगार, फेरीवाले, घरेलु कामगार, ट्रक ड्राइवर्स) कहके जानते है और जो बस्तियों में बड़े पैमाने पर रहते है। इस वायरस का प्लेन से देश में आना और पुरे देश में फ़ैल जाना इसकी वजह चाहे जो भी हो, गलती किसी की भी हो पर बहोत ही बुरा नतीजा भुगतना पड़ा वो इन्ही असंगठित कामगारोंको ।

सरकार द्वारा लिया गया लॉकडाउन का निर्णय जरुरी तो था पर इसे पूरी तरीके से सही नही माना जा सकता ! पूर्वनियोजन ना होने की वजह से लाखों कामगार रास्तो पर उतर आए जिसके लिए देशभर के कामगारोंका रास्तों पर निकलना ताजा उदाहरण हम समझ सकते है ! जिसमे लाखों माइग्रेंट वर्कर्स जो मजदूरी करते है, जो किसी ना किसी कारणवश अपने गांव छोड़कर पेट भरने के लिए दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में आ बसे है!

लॉकडाउन के बाद ऐसे लाखो कामगार सड़को पर उतर आए क्यों की सरकार का कहना था, ‘घर पर ही रहो, सुरक्षित रहो’ पर यह कामगार लॉकडाउन की वजह से अभीतक घर नहीं पोहोंचे थे, कही ना कही फसे हुए थे ! जिनका सिर्फ एक ही मकसद था, ‘हम सिर्फ घर जाना चाहते है’, कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव में इतने नाजुक समय पर भी लोग सडको पर उतर आने के ४-५ दिन बाद सरकार को याद आया की स्थलांतरित मजदूरों,बेघरों के लिए शेलटर होम होने जरुरी है और तब जाके हमारे सरकार ने शेलटर होम के लिए अपने प्रयत्न शुरू किए |

पनवेल कामोठे में फंसे ट्रक ड्राइवर भी इस लॉकडाउन से पीड़ित है ! ट्रक ड्राइवरों का एक गुट जो ट्रांसपोर्ट का काम करते है, इस संचार बंदी निर्णय के बाद जहा पर ट्रक रोके गए वही इन्हे उन ट्रकों के साथ रहना पड़ा ! २१ दिनो तक ना खाना और ना रहने की जगह ! ऐसे में उनकी मदत कौन करता ये सवाल है ?

युवा संस्था ने कोरोना वायरस-महामारी और लॉकडाउन की वजह से निर्माण होने वाली हानिकारक परिस्थितियों का अंदाजा लगाकर कोरोना वायरस से और लॉकडाउन के चलते करोडो लोगोंपर आनेवाले भुखमरी की परिस्थितियों से लड़ने के लिएइस अभियान में युवा संस्था की और से राहत कार्य की शुरुआत हुई। जिसमे दाल, चावल, आटा, मसाला, तेल, डेटॉल, नमक, महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड और बच्चों के लिए पोषक आहार इत्यादि सामग्री शामिल है।

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव की वजह से लॉकडाउन का समय शायद और भी बढ़ता रहेगा इस कारणवश युवा संस्था आगे भी अत्यावश्यक सेवा जरुरत मंद लोगों तक पहुंचाती रहेगी और समाज के अन्य सवालों की सामाजिक संवेदनशीलता को समझते हुए बस्तियों में इन सवालों की उलझनों को सुलझाने के लिए किसी ना किसी माध्यम से कार्य पर कटिबद्ध रहेगी !

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