लोकतंत्र अयोग्यता का शासन है।
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लोकतंत्र अयोग्यता का शासन है इस कथन से पूरी तरह सहमत हुआ जा सकता है। इसके कारण पर विवेचन करते हैं..
लोकतंत्र में कोई भी वयस्क व्यक्ति अपना मत दे सकता है, उसके मत द्वारा दिए गए चुने गए प्रतिनिधि ही शासन में सत्ता का संचालन करते हैं। इन वयस्क व्यक्तियों में अशिक्षित लोग भी होते हैं, ऐसे लोग भी होते हैं जिनके अंदर जागरूकता नहीं होती और जिनमें अच्छे-बुरे प्रतिनिधि की पहचान करने की सामर्थ्य नहीं होती। इस कारण वे योग्य प्रतिनिधि नहीं का चुनाव नही कर पाते। वे अपना मत जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र संप्रदाय या अपने किसी निजी स्वार्थ के आधार पर देते हैं। ऐसे में अपराधिक प्रवृत्ति वाले, भ्रष्ट आचरण वाले और अवांछनीय चरित्र वाले व्यक्ति भी चुनकर शासन में आ जाते हैं।
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो जनता मतदान कर अपनी सरकार चुनती है, वह उस सरकार के कामकाज के तरीके का सही रूप से आकलन नहीं कर सकती। इसलिए वह किसी भी राजनीतिक दल को सही ढंग से समझ नहीं पाती और वो जाति, धर्म, भाषा आदि के आधार पर किसी दल के प्रति अपना पूर्वाग्रह पहले से ही बना लेती है और वह कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो अपने पक्ष वाले दल को ही मत देती है। ऐसी स्थिति में आवश्यक नहीं उस दल में सभी व्यक्ति योग्य ही हों। लेकिन जनता द्वारा मत दिए जाने के कारण अयोग्य व्यक्ति भी चुनकर शासन में चले जाते हैं, इसलिए लोकतंत्र अयोग्यता का शासन है
Answer:
अयोग्यता का शासन-लोकतंत्र में बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्तियों को मताधिकार प्राप्त होता है। किसी भी समाज में विद्वानों की तुलना में मूर्ख की संख्या अधिक होती है। अतः लोकतंत्र में बहुसंख्यक मूर्खा द्वारा एक मूर्ख सरकार का निर्वाचन होता है।