लोकतंत्र के कुल कितने प्रमुख सिद्धांत एवं दृष्टिकोण हैं? इनमें से लोकतंत्र के उदारवादी, मार्क्सवादी एवं समाजवादी सिद्धांतों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
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लोकतंत्र के लगभग तीन प्रमुख सिद्धांत और दृष्टिकोण हैं। लोकतंत्र के उदारवादी, मार्क्सवादी एवं समाजवादी सिद्धांतों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है...
लोकतंत्र का परंपरागत उदारवादी सिद्धांत एवं दृष्टिकोण — लोकतंत्र के परंपरागत उदारवादी सिद्धांत का विकास लगभग तीन शताब्दियों के उदारवादी राजनीतिक चिंतन द्वारा हुआ है। लोकतंत्र के इस परंपरागत उदारवादी सिद्धांत को पश्चिमी सिद्धांत या लोकतंत्र का लोकप्रिय सिद्धांत भी कहा जाता है। लोकतंत्र के परंपरागत उदारवादी सिद्धांत के प्रमुख विचारक एवं प्रवर्तक हॉब्स, रूसो, लोक, बेंथम, जे. एस. मिल, टी. एच. ग्रीन, मॉण्टेस्क्यू, जेफरसन, अब्राहम लिंकन, हरबर्ट, स्पेंसर आदि माने जाते हैं।
लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धांत एवं दृष्टिकोण — लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धांत लोकतंत्र के विषय में एक विशिष्ट चिंतन प्रस्तुत करता है। यह एक प्रकार का आर्थिक लोकतंत्र सिद्धांत है। मार्क्सवादी विचारधारा का अनुसरण करने वाले इसे जनवादी लोकतंत्र कहते हैं। मार्क्सवादी लोकतंत्र का मूल विचार कार्ल मार्क्स तथा फ्रेडरिक एंगिल्स की विचारधारा में प्रकट होता था। इस सिद्धांत को व्यवहारिक रूप स्टलिन, लेनिन न माओत्से तुंग आदि ने दिया है।
लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत एवं दृष्टिकोण — लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत लोकतंत्र के उदारवादी सिद्धांत एवं मार्क्सवादी सिद्धांत के मेलजोल से बना है। लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत लोकतंत्र के परंपरागत उदारवादी सिद्धांत के आदर्शों को तथा मार्क्सवादी सिद्धांत में निहित आर्थिक समानता के आदर्शों को एक साथ प्राप्त करना चाहता है। लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत लोकतंत्र के जिस स्वरुप पर बल देता है, उसे लोकतांत्रिक समाजवाद भी कहते हैं। यह सिद्धांत क्रांति एवं हिंसा की जगह विकासवादी एवं संवैधानिक साधनों में विश्वास रखता है।