लोकतंत्र की आधारशिला कौन से आधार कहे जाते है ? *
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Answer: वर्ष 1950 में अधिनियमित भारत का संविधान भारत के लोकतंत्र की आधारशिला रहा है। इसके लागू होने के बाद इसमें कई संशोधन हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अंतिम व्याख्याकार है और अपनी रचनात्मक एवं अभिनव व्याख्या द्वारा हमारे मौलिक अधिकारों तथा संवैधानिक स्वतंत्रता का रक्षक रहा है।
लोकतन्त्र( संस्कृत प्रजातन्त्रम्)( शाब्दिक अर्थ" लोगों का शासन", संस्कृत में लोक," जनता" तथा तन्त्र," शासन",) या प्रजातन्त्र एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतान्त्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है । यद्यपि लोकतन्त्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किन्तु लोकतन्त्र का सिद्धान्त दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है । मूलतः लोकतन्त्र भिन्न- भिन्न सिद्धान्तों के मिश्रण बनाती हैै ।
लोकतन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी दल को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है, तथा उसकी सत्ता बना सकती है । लोकतन्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है," लोक तन्त्र" । लोक का अर्थ है जनता तथा तन्त् का अर्थ है शासन ।
किसी भी पैमाने से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का जनवरी में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने का मतलब भारत के बढ़ते कद को स्वीकार करना है । निसंदेह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को उनका फोन करना एक तरह से उन्हें संतुष्ट रखने का प्रयास था, लेकिन इससे यह सच्चाई नहीं छिपती कि वाशिंगटन ने दुनिया के इस हिस्से में अपनी नीतियों और कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली को पार्टनर के रूप में चुना है । वाशिंगटन मुक्त व्यापार का पक्षधर है और पूंजीवादी दुनिया का नेतृत्व करता है । इसकी नीतियां बड़ी कंपनियों और अमीरों को लाभ पहुंचाने के लिए हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में उसे एक बना- बनाया पार्टनर मिल गया है । दक्षिणपंथी होने के बावजूद ओबामा मोदी के मुकाबले उदार दिखाई देते हैं । दोनों ने आर्थिक वजह से हाथ नहीं मिलाया है, फिर भी नई दिल्ली को फायदा होगा, क्योंकि अमेरिकी उद्योग निश्चित तौर पर भारत की राह करेंगे । असली कारण वही है जो प्रचारित किया जा रहा है- सामरिक सहयोग । अमेरिका अपने औद्योगिक विकास का आधार मजबूत करने के लिए हथियार बेचना चाहता है । भारत सैन्य तकनीक का भूखा है और उसे यह अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों से पाने की उम्मीद है । भारत ने 15 हजार करोड़ रुपये की भारी कीमत देकर बोफोर्स से आगे की पीढ़ी वाली तोप खरीदी हैं, क्योंकि उसका जोर था कि बेचने वाले भारत में इसका कारखाना लगाएं । देश एक ही साथ दो मोचरें पर हमले का सामना कर रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ऐसी चेतावनी भी दी है । इसलिए यह किसी भी स्नोत से हथियार पाने के लिए बेचैन है ।
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