लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत एवं दृष्टिकोण के बारे में व्याख्या करें।
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लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धांत जन सामान्य की जगह समूहों की भूमिका पर जोर देता है। लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत का जन्म विशिष्ट वर्गीय (अभिजन) सिद्धांत की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था साधारण अर्थ में कहे तो बहुलवादी सिद्धांत सत्ता को समाज के एक छोटे से वर्ग तक सीमित करने की बजाय उसे व्यापक स्तर पर प्रसारित और विकेंद्रित करता है। लोकतंत्र के इस बहुलवादी सिद्धांत की अवधारणा का विकास बीसवीं सदी के आरंभ में हुआ था और अनेक विद्वानों ने सिद्धांत के विकास में योगदान दिया है जिसमें लॉस्की, अर्नेस्ट बार्कर, डी. .डी. डी एच कोल डिग्री सॉलिड और रॉबर्ट डहल के नाम प्रमुख है।
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