Social Sciences, asked by GRAPHIX628, 10 months ago

लोकतंत्र के विशिष्ट वर्गीय (अभिजनवादी) सिद्धांत की व्याख्या करें।

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Answered by shishir303
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लोकतंत्र का विशिष्ट वर्गीय (अभिजनवादी) सिद्धांत का प्रतिपादन पश्चिमी समाज में दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था। इस सिद्धांत के अनुसार समाज में दो तरह के लोग पाए जाते हैं।

  • गिने-चुने विशिष्ट वर्गीय (अभिजन) लोग
  • आम जनता वाला विशाल जनसमूह

लोकतंत्र के विशिष्ट वर्गीय (अभिजनवादी) सिद्धांत के अनुसार पहली श्रेणी में आने वाले गिने-चुने विशिष्ट लोग ही शासन का संचालन करते हैं, क्योंकि यह लोग सारी सुविधाओं से संपन्न सर्वोत्तम प्रवृत्ति के लोग होते हैं। यह लोग बुद्धिजीवी, विचारक, विद्वान, शिक्षित, व प्रबुद्ध नागरिक होते हैं। विशाल जन समूह में आने वाले लोग आम मध्यमवर्गीय, श्रमिक वर्गीय, निम्न वर्गीय हर वर्ग के लोग होते हैं, जिन का प्रतिशत 95% से भी अधिक होता है। जबकि विशिष्ट जन बहुत कम संख्या के लोग होते हैं। लोकतंत्र के विशिष्ट वर्गीय अभिजन वादी सिद्धांत के अनुसार यह कम संख्या वाले विशाल जनसमूह पर राज करते हैं। विशाल जनसमूह तो केवल अपनी जीविका कमाने में ही व्यस्त रहते हैं।

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