लोकतंत्र में औपचारिक या अनौपचारिक रूप से मतभेदों की अभिव्यक्ति या विधियों में अंतर स्पष्ट कीजिए
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सन 1968 में फिलिप कूम्बस ने अनौपचारिक शिक्षा की चर्चा की । परन्तु उसकी परिभाषा 1970 के बाद ही की गई । वास्तव में, अनौपचारिक शिक्षा एक प्राचीन परिपाटी का नया नाम है । अनौपचारिक शिक्षा की कुछ परिभाषायें निम्नलिखित हैं –
कूम्बस और अहमद – “ जनसंख्या में विशेष उपसमूहों व्यस्क तथा बालकों का चुना हुआ इस प्रकार का अधिगम प्रदान कनरे के लिये औपचारिक शिक्षा व्यवस्था के बाहर कोई भी संगठित कार्यक्रम है “।
ला बैला- अनौपचारिक शिक्षा का संदर्भ “ विशिष्ट लक्षित जनसंख्या के लिए स्कूल से बाहर संगठित कार्यक्रम है ।
इलिच और फ्रेयर – “अनौपचारिक शिक्षा औपचारिक विरोधी शिक्षा है “।
मोती लाल शर्मा –संक्षेप में कोई कह सकता है कि अनौपचारिक शिक्षा एक सक्रिय, आलोचनात्मक, द्वंदात्मक शैक्षिक कार्यक्रम है जो कि मनुष्यों को सीखने, स्वयं अपनी सहायता करने, चेतनरूप से अपनी समस्याओं का आलोचनातमक रूप से समान करने में सहायता करता है । अनौपचारिक शिक्षा का लक्ष्य संकलित, प्रमाणिक मानव प्राणियों का विकास करना है जो कि समाज के विकास में योगदान दे सकें । इसमें न केवल व्यक्ति बल्कि एक सच्चे अधिगम समाज में योगदान देते हुए सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था सीखती है ।”