"लोकतंत्र और चुनाव" इस विषय पर 80 -100 शब्दों का अनुच्छेद लिखिए |
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भारतीय संविधान में हुए कुल संशोधनों का यदि औसत निकाला जाए तो यह लगभग दो संशोधन प्रति वर्ष होता है. कानून के जानकारों के अनुसार इन संशोधनों ने संविधान को समय के साथ मजबूत ही किया है. लेकिन इस सफ़र में एक दौर ऐसा भी आया था जब संविधान पूरी तरह से निजी महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ गया था. यह दौर था इंदिरा गांधी द्वारा लागू किये गए आपातकाल का. इस दौरान संविधान में इस हद तक बदलाव कर दिए गए थे कि इसे अंग्रेजी में ‘कंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया’ की जगह ‘कंस्टीट्यूशन ऑफ इंदिरा’ कहा जाने लगा था. इस दौर में संविधान में क्या परिवर्तन हुए, इन परिवर्तनों के क्या परिणाम हुए और कैसे संविधान को उसके मूल रूप में वापस लाया गया? इन सवालों के जवाब जानने की शुरुआत उन परिस्थितियों से करते हैं जिनके कारण संविधान से खिलवाड़ का दौर शुरू हुआ.
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