लेखिका की बहन ऐसा क्यों कहा कि रोज नहाती है । मेरे संग की औरतें
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- मेरे संग की औरते' पाठ में संयुक्त परिवार की महत्ता और और उसके सांस्कृतिक मूल्य उभर कर सामने आते हैं। लेखिका स्वयं एक संयुक्त और बड़े परिवार में पली-बढ़ी। लेखिका के परिवार का माहौल भी प्रगतिशील था और सबको अपने ढंग से जीने का आजादी थी। किसी के निजी जीवन में कोई हस्तक्षेप नही था।
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणि है और इसलिए अकेले नहीं रहता है। लेकिन कुछ व्यक्ति भीड़भाड़ के कोलाहल में इतना अकेलापन ढ़ूँढ़ लेते हैं कि अपने मन की कर सकें। लेखिका की बहन वही करती थीं, जो उन्हें सही लगता था। ऐसा करने में वे अन्य लोगों की बातों को भी अनसुनी कर जाती थीं। स्कूल की बस स्टॉप से उनका अकेले पैदल आना या फिर बारिश के बाद पैदल ही स्कूल चले जाना; इसका उदाहरण है। वह एक ऐसी महिला हैं जो स्वयं पर यकीन रखती हैं। लेखिका ने शादी के बाद अपना सरनेम बदल दिया और ऐसा करने में उन्हें तनिक भी परेशानी नहीं हुई। शादी के बाद उनके पति के साथ संबंध ताउम्र चला क्योंकि उन्हें लगता था कि पति बदलने से कुछ भी नहीं बदलता। उन्हें लगता था कि मनुष्य को इन सबसे ऊपर उठकर सोचना चाहिए और अपनी पसंद के काम पर ध्यान लगाना चाहिए।
आपका धन्यवाद
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