Hindi, asked by bhoomioberoi2347, 6 months ago

लेखिका मृदुला गर्ग के बगाल कोर्ट में स्कूल खोलने के प्रयास का वर्णन कीजिए तथा बताइए कि आपको इससे क्या शिक्षा मिलती है ?
पाठ मेरे संग की औरतें
class 9
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Answers

Answered by shishir303
17

‘शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है’ इस संबंध में लेखिका मृदुला गर्ग ने उल्लेखनीय प्रयास किए। ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका मृदुला गर्ग उस समय कर्नाटक में रहती थी। जब लेखिका के बच्चे स्कूल जाने लायक हो गए तो लेखिका ने देखा कि वहाँ पर कोई अच्छा स्कूल नही था। तो लेखिका ने एक कैथोलिक चर्च के बिशप से वहाँ पर स्कूल खोलने का आग्रह किया, लेकिन बिशप कहना यह था कि चूँकि यहाँ पर क्रिश्चन बच्चों की संख्या कम है, इसके लिए वो स्कूल खोलने में असमर्थ है। तब लेखिका ने बिशप से कहा कि भले ही क्रिश्चन बच्चें कम हों लेकिन बाकी बच्चे तो हैं। अन्य गैर-क्रिश्चन बच्चों को भी अच्छी शिक्षा पाने का उतना ही अधिकार है, जितना कि क्रिश्चन बच्चों को, लेकिन बिशप ने उसकी एक न सुनी। ऐसे में लेखिका ने स्वयं प्रयास करते हुए एक स्कूल खोला, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ इन तीन भाषाओं में शिक्षा दी जाने लगी। वहां के स्थानीय लोगों ने भी लेखिका का साथ दिया। इस तरह लेखिका बच्चों को उनकी शिक्षा का अधिकार दिलवाने में सफल रही।

इस प्रसंग से हमे ये शिक्षा मिलती है कि शिक्षा पाना सबका अधिकार है, और एक न्यूनतम शिक्षा तो सबको हासिल करने हक होना चाहिए और ये अनिवार्य भी होना चाहिए।

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Answered by omsingh020304
24

Answer:

Explanation:

कर्नाटक जाने पर लेखिका मृदुला गर्ग ने बागलकोट कस्बे में एक प्राइमरी स्कूल खोलने की कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की परन्तु क्रिश्चयन जनसंख्या कम होने के कारण वे स्कूल खोलने में असमर्थ थे। लेखिका ने अनेक परिश्रमी लोगों की मदद से वहाँ अंग्रेजी, कन्नड़, हिन्दी तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला स्कूल खोलकर उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलाई। लेखिका के इस कार्य से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ठान लेने पर कोई भी कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

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