लिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(5)
आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो जिसमे राष्ट्र के हृदय मन प्राण के सूक्ष्म तम और
गंभीर दम संवेदन मुखरित हो और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका के पाठ्यक्रम पर आधारित न होकर हमारी अपनी
सांस्कृतिक परंपराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करें भारतीय भाषाओं में भारतीय इतिहास भारतीय दर्शन भारतीय धर्म
और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें उन्हें अपने शिक्षा क्रम में 1 स्थान देकर या शिक्षित जन को उन से वंचित
रख कर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान व्यक्तित्व को जन्म दिया है जो नई पीढ़ी के भीतर से खोखला कर रही है हम
राष्ट्रीय परंपरा से ही नहीं शाम में जीवन प्रभा से भी दूर जा पड़े हैं विदेशी पश्चिमी चश्मा के भीतर से देखने पर अपने घर के
प्राणी भी पहचाने और अजीब से लगने लगे हैं शिक्षित और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गई है और विश्व संस्कृति के
दावेदार होने का दंभ करते हुए भी हम घर में वामन ही बने रहे गए हैं इस स्थिति को हास्यास्पद भी कहा जा सकता है ।
(क) हमारी शिक्षा का माध्यम कौन सी भाषा होनी चाहिए और क्यों?
(ख) हमारी शिक्षा में कैसे पाठ्यक्रम की आवश्यकता है और क्यों?
(ग) राष्ट्रीय संस्कृति में रिश्ता किस प्रकार आई ? इसे दूर करने के लिए क्या करना चाहिए ?
(घ) शिक्षित जन और सामान्य जनता के मध्य निरंतर अंतर बनने का क्या कारण है?
(ङ) आधारित शब्द में से उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए।
Answers
Answer:
आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो जिसमे राष्ट्र के हृदय मन प्राण के सूक्ष्म तम और
गंभीर दम संवेदन मुखरित हो और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका के पाठ्यक्रम पर आधारित न होकर हमारी अपनी
सांस्कृतिक परंपराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करें भारतीय भाषाओं में भारतीय इतिहास भारतीय दर्शन भारतीय धर्म
और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें उन्हें अपने शिक्षा क्रम में 1 स्थान देकर या शिक्षित जन को उन से वंचित
रख कर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान व्यक्तित्व को जन्म दिया है जो नई पीढ़ी के भीतर से खोखला कर रही है हम
राष्ट्रीय परंपरा से ही नहीं शाम में जीवन प्रभा से भी दूर जा पड़े हैं विदेशी पश्चिमी चश्मा के भीतर से देखने पर अपने घर के
प्राणी भी पहचाने और अजीब से लगने लगे हैं शिक्षित और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गई है और विश्व संस्कृति के
दावेदार होने का दंभ करते हुए भी हम घर में वामन ही बने रहे गए हैं इस स्थिति को हास्यास्पद भी कहा जा सकता है ।
(क) हमारी शिक्षा का माध्यम कौन सी भाषा होनी चाहिए और क्यों?
(ख) हमारी शिक्षा में कैसे पाठ्यक्रम की आवश्यकता है और क्यों?
(ग) राष्ट्रीय संस्कृति में रिश्ता किस प्रकार आई ? इसे दूर करने के लिए क्या करना चाहिए ?
(घ) शिक्षित जन और सामान्य जनता के मध्य निरंतर अंतर बनने का क्या कारण है?
(ङ) आधारित शब्द में से उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए।