लेखक बिसनाथ ने किन आधारों पर अपनी मांँ की तुलना बत्तख से की है?
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“बिस्कोहर की माटी” पाठ जोकि लेखक ‘विश्वनाथ त्रिपाठी’ की आत्मकथा “नंगातलाई का गाँव” में लेखक विश्वनाथ ने अपनी मां की तुलना बत्तख के मातृत्व से संबंधित गुणों के आधार पर की है... बत्तख जब अंडे दे देती है, तो उसके बाद वह पानी में नहीं जाती तब तक कि उसके अंडों से बच्चे निकल नहीं आते तब तक वह अंडों को सेती रहती है। अंडो को अपने पंखों के बीच छुपा कर रखती है और इस तरह से अपने अंडों को सबसे बचाकर रखती है। वो अपने अंडे तथा उसमें से निकले बच्चों की सुरक्षा बड़ी सतर्कता से करती है। वह कोमलता का भी भरपूर ध्यान रखती है कि बच्चों उसके अंडे तथा उसमें से निकलने वाले कोमल नवजात बच्चों को कोई भी हानि ना हो पाए।
लेखक अपनी मां को भी ऐसा ही पाता है। उसके अनुसार उसकी माँ भी अपने बच्चों की बहुत अच्छे से देखभाल करती थी, उन्हें प्यार से दूध पिलाती थी, अपने साथ सुलाती थी। उनका यथासंभव हर काम करती थी। लेखक कहता है कि उनकी मां अपनी पूरी ममता और स्नेह अपने बच्चों पर उड़ेल देती थी। इस तरह लेखक की माँ के गुण बत्तख के गुणों के समान है, इसलिए उसने बतख के मातृत्व संबधी गुणों के आधार पर अपनी माँ की तुलना बत्तख से की है।
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