लेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था? *
Answers
Answered by
0
लेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था?
लेखक हरे-भरे पेड़ को अपना दुश्मन समझता था।
‘बस की यात्रा’ पाठ में जब बस 15-20 मील की रफ्तार से दौड़ने लगी, तब उस खटारा बस के अलग-अलग हिस्सों में आवाज उत्पन्न होने लगी। लेखक को भरोसा नहीं हो रहा था और लेखक डर गया।
लेखक को लगने लगा कि बस के ब्रेक कभी भी फेल हो सकते हैं और स्टेयरिंग टूट सकता है, हालांकि दोनों तरफ प्रकृति के लुभावने दृश्य थे और दोनों तरफ हरे-भरे पेड़ थे, जिन पर पक्षी बैठे थे। लेकिन लेखक को वे हरे-भरे पेड़ अपना दुश्मन लग रहे थे। जो भी पेड़ आता लेखक को डर लगने लगता कि वह बस इसी पेड़ से टकरा जाएगी।
Answered by
0
Answer:
wo unhe dushman samajkta 100% correct
Explanation:
Similar questions