लेखक के घर में अतिथिको कितने दिन हो गए थे और लेखक क्यों
परेशान था। (4marks)
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- कुछ लोगों के महान बनने मे स्वाधीन चेतना का भी महत्व रहा है इस विषय पर एक टिप्पणी लिखिएदिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लघु कथा लिखिए और उसका उचित शीर्षक तथा उससे मिलने वाली शिक्षा भी लिखिए।
- (क) संकेत-बिंदु-
- .
- किसी गाँव के मंदिर में एक साधु • गाँव के लोगों से उसे दान में तरह तरह के वस्त्र, उपहार खाद्य सामग्री और पैसे मिलना
- *उनको बेचकर काफी धन जमा कर लेना साधु का किसी पर विश्वास न होना
- •अपने धन को एक पोटली में रखना पोटली सदा अपने साथ रखना
- .
- उसी गांव में एक ठग का आना उसकी नजर साधु के धन पर होना
- *शिष्य के वेश में ठग का साधु के पास आना शिष्य बनाने की प्रार्थना करना साधु का मान जाना • ठग का भी साधु के साथ रहना
- मंदिर की साफ-सफाई आदि सभी कार्य . करना
- साधु का विश्वासपात्र बन जाना एक दिन साधु के साथ के गाँव के मुखिया के घर पर जाना रास्ते में नदी पर साधु का स्नान करने
जाना ठग का गठरी लेकर चपत हो जाना।
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यह उत्तर शरद जोशी द्वारा लिखित, पाठ तुम कब जाओगे अतिथि से है ।
अतिथि का लेखक के घर पर चौथा दिन था ।
यदि कोई व्यक्ति अतिथि बनकर बिना चाहे किसी के घर ज्यादा दिनों तक रुक जाता है तब उसके घर का आर्थिक बजट खराब हो जाता है तथा घर के आपस के लोगों की निजता का हनन होता है । अतिथि के ज्यादा दिन रहने पर ज्यादा खर्चा होने के कारण लेखक का बटुआ कांप उठा था। समय के साथ साथ अतिथि के प्रति उनका साथ उनकी सरकार भावना भी समाप्त हो गई थी और लेखक अतिथि को गेट आउट तक कहने को तैयार हो गया था । इसी कारण लेखक परेशान था ।
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