Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।

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Answered by nikitasingh79
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उत्तर :
लेखक के  घर में उर्दू का वातावरण था। वह अपनी भावनाएं उर्दू और अंग्रेजी में ही लिखते थे। हिंदी भाषा से लेखक का संबंध नहीं था। बच्चन जी से परिचय होने के बाद ही लेखक को हिंदी का महत्व समझ में आया और हिंदी की और आकृष्ट हुए। सुमित्रानंदन पंत जी की सहायता से उन्हें इंडियन प्रेस अनुवाद का काम मिला। इसके बाद ही लेखक ने हिंदी कविता को गंभीरता से लिखने का सोचा। सन् १९९३ उनकी रचनाएं ‘सरस्वती’ और ‘चांद’ पत्रिकाओं में छपने लगी थी। बच्चन जी ने उनके ‘सोनेट’ को पसंद किया था जो अभ्युदय में प्रकाशित हुई थी। लेखक का हिंदी में रुझान पंत और निराला जी के साथ ही इलाहाबाद प्रवास और इलाहाबाद के हिंदी साहित्यिक माहौल एवं मित्रों से मिलने वाले अपार सहयोग के कारण हुआ।बच्चन जी ११३७ में लेखक को इलाहाबाद लाये वहां उन्होंने लेखक को एम० ए० कराया। लेखक की बच्चन जी की एक कविता कविता ‘निशा निमंत्रण’ बहुत अच्छी लगी और उन्होंने इससे प्रेरित होकर ‘निशा निमंत्रण के कवि के प्रति ‘ नामक एक कविता लिखी। पर यह कविता प्रकाशित नहीं हो पाई। सरस्वती पत्रिका में छपी लेखक की एक कविता ने निराला जी को बहुत प्रभावित किया। बच्चन जी का प्रभाव लेखक पर सबसे अधिक पड़ा। कविता के क्षेत्र से निकालकर लेखक ने निबंध और कहानी  के क्षेत्र में भी लेखन का कार्य किया।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answered by Zmap
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Answer:lekhak pehle hindi aur angrezi me likhte the phir jab unki mulakat bacchan ji se hui tab wo bacchan ji se kafi prabhavit hue aur hindi ke aur aakrist hue.tab unhe sumitranandan pant ji ke madad se unhe anuvaad ka kaam mila.phir unki ruchi hindi me kaafi badh gyi aur wo hindi kavitaye likhna prarambh kiya.san1933me unki rachnaye 'sarswati'aur 'chand' me chapi . bacchan dwara rachit nisha nimantran ke kavi ke pe ati kavita likhi thi.tab nirala ji ka dhyan sraswati me chapi kavita par gya.uske paschat unohne kuxh hindi nibandh bhi likha we baad mr hansh karyalay ke kahani me chale gye tatpaschat unhone kavita ki sangrah wa Anaya rachnaye bhi likhi

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