लेखक को मूर्ख बने रहना क्यों स्वीकार था?
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कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनज़र 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर हुए जनता कर्फ्यू के दौरान सड़क पर निकले विभिन्न शहरों के लोग. (फोटो साभार: ट्विटर)
नेता ने एक जांच सुझाई. सबने न सिर्फ़ बिना न-नुकुर, बल्कि ख़ुशी-ख़ुशी ख़ुद को उसके लिए पेश किया और सब पॉज़िटिव पाए गए.
जांच अहमकपन की थी. राष्ट्रव्यापी जांच थी और किसी क्षेत्र ने निराश नहीं किया. इससे सिद्ध हुआ कि भारत एक सांस्कृतिक इकाई है.
बावजूद भिन्न भाषाओं, पहनावों और खानपान के हम सब मूर्खता के एक सूत्र में बंधे हैं. राष्ट्रीय एकता का यह प्रदर्शन और प्रमाण दिल को तसल्ली देता है.
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this is not it's answer....
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