लेखक की दृष्टि प्रेमचंद के जूते से क्यों नहीं हट पा रही थी इसमें उनके मन के किन विचारों की झलक मिलती है?
jo bhi is question ko kar raha hai bhai 9th class ka hai ok bhai aur bhai sahab se likhna
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❈ᴀɴsᴡᴇʀ❈
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❤☺...लेखक के अनुसार प्रेमचंद लेखक और उन जैसे सभी लोगों पर हँस रहे हैं जो अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं और संकोचवश उसे दूसरों के सामने प्रकट नहीं करते। इसके अलावा जीवन में आनेवाली समस्याओं से संघर्ष न करके उनसे मुँह फेर लेने वालों पर भी प्रेमचंद मुसकरा रहे हैं।...❤☺
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៣คгк คร ƅгคเภlเєรt Ԁєคг✔♥
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