लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू अब बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हो।
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एक बार मेरा एक दोस्त मुंबई गया। उसके पास ₹10000 थे जिन्हें वह अपने पिता के इलाज के लिए ले कर जा रहा था। रेलगाड़ी में उसका पर्स खो गया। अस्पताल पहुंचने पर उसने अपनी जेब देखी तो उसमें पर्स नहीं था। उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी। इतने में एक व्यक्ति वहां पहुंचा और उसने मेरे दोस्त को उसका पर्स लौटाते हुए कहा कि उसे यह पर्स रेलगाड़ी में पड़ा मिला था। मेरे दोस्त के यह पूछने पर कि उसे यहां का पता किसने दिया तो उसने बताया कि उसके पर्स में अस्पताल का नाम तथा डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों की पर्ची को पढ़कर वह यहां तक पहुंचा है। मेरा दोस्त उस अनजान व्यक्ति की ईमानदारी को आज भी याद करता है।
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hehe sis refer to the attachment dear
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