लेखक ने किस समय बाजार जाने की सलाह दी है
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लेखक ने बाजार जाने की सलाह उस समय दी है क्या मन खाली ना हो और हमें अपनी जरूरतों का सही पता हो।
व्याख्या :
‘बाजार दर्शन’ पाठ में लेखक के अनुसार जब मन खाली होगा और हमें अपनी जरूरतों का सही पता नहीं होगा तो बाजार जाना ठीक नहीं। मन खाली होने पर हमारा मन कई तरह की वस्तुएं लेने का मन करेगा। हमें अपनी जरूरतों का पता ना होने के कारण हम बाजार की चकाचौंध की चपेट में आकर कुछ भी खरीदारी कर सकते हैं। इसलिये समय और धन के सदुपयोग के लिये बेहतर है, कि जब मन खाली ना हो और हमें अपनी जरूरतों के बारे में सही पता हो, तब ही बाजार जाया जाये।
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