लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
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Answer:
HEYA!! HERE IS YOUR ANSWER!!
Explanation:
लेखक का कहना है कि आज भी भारतवर्ष में सेवा , ईमानदारी , सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं ।वे दब अवश्य गए हैं लेकिन नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी सामान्य व्यक्ति भारतीय महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ बोलना और चोरी करना पाप समझता है, सेवा करना अपना धर्म समझता है। रेलवे स्टेशन पर टिकट बाबू द्वारा लेखक को ढूंढ कर ₹90 वापस करना तथा बस कंडक्टर द्वारा लेखक के बच्चों के लिए दूध और पानी लाना इसी बात के प्रमाण है। आज भी सेवा भावना , ईमानदारी आदि मानवीय गुण विद्यमान है। इसलिए धोखा दिए जाने पर भी लेखक निराश नहीं है।आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
TAKE CARE!!
Answer:
लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने धोखा भी खाया है परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण उनकी सहायता की है, निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बँधाई है।
टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं। इसलिए उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते।