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लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजान
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे
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लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरी
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबार
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु का
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु का-यास
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु का-यासɴ;
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु का-यासɴ;नहᴜ
लेखकनशे करिवहारमस े मितकोउनक ु ेयजमान;केपासजानसे रोका े ,परöसरीबाररोकन ु का-यासɴ;नहᴜिकया े ?
Answer:
एक मंदिर में लेखक वहाँ के बुद्धवचन-अनुवाद की हस्तलिखित पोथियाँ पढ़ रहे थे। वे पोथियाँ को पढ़ने में मग्न थे। इसलिए सुमति के अपने यजमानों से मिलने जाने के बारे में पूछने पर लेखक ने उन्हें जाने के लिए कह दिया।